कहते हैं कि शादी विवाह एक ऐसा पवित्र बंधन होता है जो जन्मों तक का माना जाता है। इसलिए जब रिश्ते खोजे जाते हैं तो अच्छे से पूरी जानकारी पता की जाते हैं।
लेकिन सही और भरोसेमंद रिश्ते खोजना कोई आसान काम नहीं होता। न ही ये अकेले जरूरतमंद परिवार के बस की बात होती है।
इस काम के लिए और लोगों या संस्थाओं की मदद ली जाती है। जैसे कि परिवार और रिश्तेदार, दोस्त, समाज या संस्थाएं या अन्य कई विकल्प। इस लेख (Article) में रिश्ते खोजने के इन्हीं 10 तरीकों के बारे में बताया गया है। आइये जानते हैं वो तरीके कौन से हैं।
1. परिवार और रिश्तेदारों की मदद से
परिवार और रिश्तेदारी में विवाह योग्य बच्चों के बारे में जरूर बात करनी चाहिए। कई बार क्या होता है कि हमें यहीं से ही संभावित रिश्तों की जानकारी मिल जाती है।
यहाँ से रिश्ता होने का ये फायदा होता है कि सामने वाला पक्ष जांचा-परखा होता है। रिश्ता मिलने में समय भी कम लगता है और किसी प्रकार का कोई शुल्क भी नहीं देन पड़ता है। भविष्य में कोई परेशानी आये तो परिवार की मदद से जल्दी सुलझा ली जाती है।
आज भी ज्यादातर परिवारों में शादी के लिए रिश्ते खोजने के लिए यह तरीका अपनाया जाता है।
2. समाज या समुदाय समिति के माध्यम से
कई शहरों में कुछ समुदाय समिति मौजूद होती हैं। उनसे शादी के रिश्ते के लिए संपर्क किया जा सकता है।
जैसे कि मौर्य समाज के लिए बनी समिति मौर्य समाज शादी(mauryasamajshaadii.com) है जो खास मौर्य समाज के लिए रिश्ते खोजने में मदद कर रही है। यहाँ ऑनलाइन (Online) और ऑफलाइन (offline), दोनों तरीकों से मात्र 500₹ 200₹ रजिस्ट्रेशन शुल्क देकर अपनी शादी के बायोडाटा जमा कर सकते हैं।
यहाँ पर मौजूद बायोडाटा भी देखे सकते हैं। ऐसी संस्थाओं की मदद से आप बड़ी आसानी से कम समय में अच्छे और भरोसेमंद रिश्ते खोज सकते हैं।
अगर आप Maurya, Kushwaha, Saini, Shakya आदि समाज से है तो आज ही REGISTER करे। यह हमसे इस नंबर पर संपर्क करे 9250223394
3. Matrimonial website की मदद से
आप रिश्ते खोजने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट की मदद भी ले सकते हैं जैसे कि shaadi.com, jeevansathi.com , Matchfinder.com , CommunityMatrimony.com आदि। इन पर पंजीकरण करवाना निशुल्क होता है लेकिन और कई योजनाओं और सेवाओं का लाभ लेने के लिए रु 2500 से 8000 तक या इससे भी ज्यादा की फीस देनी पड़ सकती है।
ये सेवाएं आमतौर पर तीन महीने से लेकर एक साल तक के लिए मिलती हैं। इस तरीके का फायदा ये होता है कि आपको घर बैठे रिश्तों की जानकारी मिल जाती है और आपके समय की भी बचत होती है। नुकसान ये है कि कई बार धोखेबाजों द्वारा नकली प्रोफाइल बनाकर फ्रॉड किया जाता है। इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।
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4. सोशल मीडिया (Social media) की मदद से
आज के समय में सोशल मीडिया के जरिये भी रिश्ते होने लगे हैं जैसे कि फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram), स्नैपचैट (Snapchat) आदि। इसका फायदा ये है कि यहाँ से मिलने वाले रिश्तों के लिए आपको कोई फीस नहीं चुकानी पड़ती। समय भी कम लगता है।
लेकिन सोशल मीडिया के जरिये होने वाले रिश्ते ज्यादा भरोसेमंद नहीं होते। कई बार फेक (Fake) प्रोफाइल बनाकर आपके साथ धोखेबाज़ी की जा सकती है।
ऐसे रिश्तों को करने से पहले सामने वाले की प्रोफाइल की अच्छे से जाँच-पड़ताल जरूर करनी चाहिए और सामने से जरूर मुलाकात करनी चाहिए ताकि भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके।
5. मित्रों और जान पहचान वालो की सिफारिश से
अपने दोस्तों और पहचान वालों से शादी योग्य व्यक्ति के बारे में डिटेल में बता देना चाहिए। आपकी क्या अपेक्षाएं हैं, इन सब के बारे में बता देना चाहिए ताकि सामने वाला व्यक्ति उसी के अनुसार रिश्ते ढूंढ सके। या हो सकता है उनकी नजर में कोई अच्छा रिश्ता हो।
इसमें आपको कोई शुल्क नहीं देना होता। इस तरीके से हो सकता है समय ज्यादा लग जाए लेकिन यहाँ से मिले रिश्ते भरोसेमंद और देखे-परखे होते हैं।
6. अख़बारों या मैरिज ब्यूरो के जरिये
ये तरीका काफी पुराना है। आप वर या कन्या की जरूरत हेतु अख़बारों में इश्तिहार छपवा सकते हैं। अखबारों में वैवाहिक विज्ञापन देने की फीस हर जगह अलग-अलग होती है जैसे कि बड़े शहर की तुलना में छोटे शहरों की फीस कम होती है।
ये दर हर अखबार में भिन्न होती है जैसे कि ‘द ट्रिब्यून’ (The Tribune) में 15 शब्दों के लिए रु 750 से रु 1,100 तक है और ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) में 25 शब्दों के लिए लगभग रु 1818 की दर है। लेकिन इसमें समय ज्यादा लग सकता है।
हर शहर या कस्बे में खुले मैरिज ब्यूरो का काम इच्छुक परिवारों को आपस में मिलाना और शादी करवाना होता है। इसका रजिस्ट्रेशन शुल्क रु 500 से रु 5000 तक हो सकता है।
ये मैरिज ब्यूरो रिश्ता तय होने के बाद अपना कमीशन भी लेते हैं। यहाँ से होने वाले रिश्तों की अच्छे से जाँच पड़ताल की जाती है ताकि कोई धोखाधड़ी न हो।
7. विवाह सम्मेलन या परिचय सभाओं में भाग लेकर
भारत में कई तरह के विवाह सम्मेलन होते हैं जो भिन्न भिन्न समुदायों और परंपराओं के अनुसार आयोजित किये जाते हैं। ये सम्मेलन कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों द्वारा आयोजित किये जाते हैं।
रिश्ते ढूंढ़ने के लिए अपने शहर में होने वाली ऐसे सम्मेलनों की जानकारी जरूर रखें। कई जाति समाज की अपनी खास परिचय सभाएँ होती हैँ जहाँ पर खासतौर से विवाह योग्य लड़के और कन्याओं का परिचय करवाया जाता है, जैसे कि अग्रवाल और जैन समुदायों के होते हैं।
इनके माध्यम से समय भी कम लगता है और इच्छुक परिवारों की आपस में बातचीत भी हो जाती है। इस तरह के सम्मेलनों की फीस कम या ज्यादा हो सकती है। या हो सकता है कि ये निशुल्क सेवा प्रदान कर रहे हों।
8. मोबाइल एप्स (App) के जरिये
आज मोबाइल के जमाने में रिश्ते ढूंढ़ने के लिए कई तरह के एप्स (App) जैसे BharatMatrimony app आदि)
मिल जाएंगे। इनकी मदद से भी अपने बायोडाटा से मैच (Match) करते हुए रिश्ते कम समय में ढूंढे जा सकते हैं।
अक्सर कुछ एप कम फीस या निशुल्क सेवाएँ देते हैं। ये शुल्क भी कुछ अतिरिक्त सेवाएँ देने के लिए लिया जाता है। इस तरह से होने वाले रिश्तों की अच्छे से जाँच पड़ताल कर लेनी चाहिए।
9. सगंठन, मंदिर या पंचायत के माध्यम से
भारत में कुछ समुदायों में मंदिर और पंचायतें रिश्ते ढूंढने में अहम भूमिका निभाती हैं। कुछ धार्मिक संगठन जहां एक ही समुदाय के लोग रहते हैं, वहां लोग अपने बच्चों के शादी बायोडाटा और फोटो जमा करवा देते हैं। फिर संगठन के कार्यकर्ता संभावित आवेदकों की जानकारी देते हैं।
यहां पर ये फायदा होता कि लोग आपस में मिलते हैं और बातचीत के द्वारा एक दूसरे को जानने का मौका मिलता है। ऐसे में होने वाले रिश्ते भरोसेमंद होते हैं।
10. स्वयं की पहल से बातचीत और नेटवर्क बनाकर
व्यक्ति या परिवार को खुद भी अपने समाज के लोगों से बातचीत करते रहना चाहिए। इस काम के लिए नेटवर्क भी बनाया जा सकता है जैसे कि हमारे रिश्तेदारों के आगे और भी तो जान पहचान के परिवार होते हैं।
इसे आगे से आगे पहचान बनाकर भरोसेमंद रिश्ते ढूंढे जा सकते हैं। इसमें समय लग सकता है लेकिन ये निशुल्क और भरोसेमंद प्रक्रिया है।

